Madhu varma

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लेखनी कविता - जाने किस जीवन की सुधि ले -महादेवी वर्मा

जाने किस जीवन की सुधि ले -महादेवी वर्मा 


जाने किस जीवन की सुधि ले
 लहराती आती मधु-बयार!

रंजित कर ले यह शिथिल चरण, ले नव अशोक का अरुण राग,
मेरे मण्डन को आज मधुर, ला रजनीगन्धा का पराग;
यूथी की मीलित कलियों से
 अलि, दे मेरी कबरी सँवार।

 पाटल के सुरभित रंगों से रँग दे हिम-सा उज्ज्वल दुकूल,
गूँथ दे रेशम में अलि-गुंजन से पूरित झरते बकुल-फूल;
रजनी से अंजन माँग सजनि,
दे मेरे अलसित नयन सार !

तारक-लोचन से सींच सींच नभ करता रज को विरज आज,
बरसाता पथ में हरसिंगार केशर से चर्चित सुमन-लाज;
कंटकित रसालों पर उठता
 है पागल पिक मुझको पुकार!
लहराती आती मधु-बयार !! 


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